कच्चे तेल में उछाल का असर: भारतीय तेल कंपनियों को हुआ 19000 करोड़ का घाटा, मूडीज का अनुमान

कच्चे तेल में उछाल का असर: भारतीय तेल कंपनियों को हुआ 19000 करोड़ का घाटा, मूडीज का अनुमान

कच्चे तेल में उछाल का असर: भारतीय तेल कंपनियों को हुआ 19000 करोड़ का घाटा

कच्चे तेल में उछाल का असर: भारतीय तेल कंपनियों को हुआ 19000 करोड़ का घाटा, मूडीज का अनुमान

नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की कीमत में वृद्धि थोड़े-थोड़े अंतराल पर की जाएगी। सरकारी तेल कंपनियों द्वारा वाहन ईधन की खुदरा कीमत तय करने की यह नई रणनीति है। यही वजह है कि दो दिन 80-80 पैसे की वृद्धि के बाद दो दिनों की राहत है। तेल कंपनियां खुद फैसला करेंगी कि खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी कितने अंतराल पर करनी है। हालांकि यह तय है कि वृद्धि का यह सिलसिला लंबा चलेगा। वजह यह है कि नवंबर, 2021 से मार्च, 2022 के मध्य तक तेल कंपनियों ने कीमतों में कोई फेरबदल नहीं किया है।


तीन महीनों में 19 हजार करोड़ का घाटा

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज की रिपोर्ट बताती है कि इन महीनों के दौरान लागत से कम कीमत पर पेट्रोल-डीजल बेचने से इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को कुल 19,000 करोड़ रुपये की हानि हुई है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि नवंबर, 2021 में भारत ने औसतन 89.34 डालर प्रति बैरल की दर से क्रूड की खरीद की थी जो दिसंबर, 2021 में घटकर 83.45 डालर प्रति बैरल हो गई। जनवरी, 2022 में यह बढ़कर 97.09 डालर प्रति बैरल और फरवरी, 2022 में 108.70 डालर प्रति बैरल हो गया। पेट्रोल-डीजल में चार नवंबर, 2021 से लेकर 20 मार्च, 2022 तक कोई वृद्धि नहीं की गई थी।

क्रूड की लागत में लगातार बढ़ोतरी

क्रूड खरीद के आंकड़ों से साफ है कि सरकारी तेल कंपनियों के लिए क्रूड की लागत लगातार बढ़ती गई है। यही नहीं इस दौरान डालर के मुकाबले रुपये भी 73.92 के स्तर से बढ़कर 77 के स्तर पर आ गया है। डालर के मुकाबले रुपये का गिरता स्तर तेल कंपनियों के लिए क्रूड की लागत को और बढ़ा देता है। पश्चिम बंगाल, असम समेत पांच राज्यों के चुनाव के दौरान भी तेल कंपनियों ने कीमतें नहीं बढ़ाई थी लेकिन उसके बाद तकरीबन दो महीनों तक रोजाना 35 पैसे की वृद्धि की थी। इस बार रोजाना वृद्धि की संभावना कम है।


सरकार द्वारा हस्तक्षेप करने की संभावना कम

मूडीज की रिपोर्ट बताती है कि अभी क्रूड की कीमत को देखते हुए तेल कंपनियां पेट्रोल पर 25 डालर (1900 रुपये) प्रति बैरल और डीजल पर 24 डालर प्रति बैरल का घाटा उठा रही हैं। इस हिसाब से उक्त तीनों बड़ी तेल कंपनियों को रोजाना 6.5-7 करोड़ डालर का घाटा हो रहा है। इस घाटे की भरपाई के लिए उन्हें खुदरा कीमतों को बढ़ाना होगा। राजस्व में घाटे की भरपाई के लिए इन कंपनियों को अल्पावधि के लिए ज्यादा कर्ज लेना पड़ेगा। आने वाले समय में क्रूड की कीमतें घटती हैं तो खुदरा कीमतों को ऊंचे स्तर पर रखकर भी तेल कंपनियां पुराने घाटे की भरपाई कर सकती हैं। मूडीज ने उम्मीद जताई है कि सरकार तेल कंपनियों की तरफ से खुदरा कीमत बढ़ाकर घाटे की भरपाई करने की प्रक्रिया में कोई रोक नहीं लगाएगी।